कहानी : कूड़ेदान में बचपन
कितनी अजीब बात है कि घर का कचरा निकालकर यूँ बाहर फेंक देते हैं जैसे अब उसका कोई उपयोग ही
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Read Moreमुन्नी की बिदाई हुए बस दो ही दिन गुज़रे हैं। मेहमानों का ताँता अभी ख़त्म भी नहीं हुआ। जलेबी की
Read More: १४जुलाई : उस दिन दोपहर से ही बारिश हो रही थी. उन दिनों मेरा मूड वैसे ही खराब रहता
Read Moreसफेद चमचमाती मेट्रो की खिड़कियों में लगे बड़े बड़े शीशों के भीतर से नीचे सड़क पर दौड़ते वाहनों को बड़े
Read Moreरेवाड़ी के पास का कोई गाँव, कोई इसलिए की नाम जान कर क्या करना| कोविद और दिव्या चचेरे भाई बहन
Read More“माँ आज तुम खिचड़ी बना कर खा लेना, मैं और रश्मि फिल्म देखने जा रहे है। खाना बाहर ही खाएँगे
Read Moreवो खुद को बहुत संतुष्ट और एडवांस समझती ही नहीं,भाव-भंगिमा से व्यक्त भी करती रहती थीं ! अलका दी,सबसे बेबाक
Read Moreबडे़ दिनो के बाद वो छत पर नजर आया था, दिल जोर से धड़का पर मैने मुंह घुमा लिया ।
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