पंचरंगी कुंडलिया
-1- करके चोरी ‘विज्ञ’जन , बाँट रहे नित ज्ञान। स्वयं नहीं करते कभी,ऐसे विज्ञ महान।। ऐसे विज्ञ महान, ज्ञान की
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Read Moreरहता काँटों संग मैं, मेरा नाम गुलाब। जिसके हाथों में गया, लगे देखने ख्वाब।। लगे देखने ख्वाब, प्रेम जोड़े हैं
Read Moreहोली के रंग में रंगा ,खुश हो शहर तमाम,खुशियाँ झूमीं हर तरफ,नाच उठे गुलफाम,नाच उठे गुलफाम,ढोल बज उठे सुहाने ,
Read Moreहिन्द की रीति की प्रीति देखो जरा विश्व सारा कुटुम्बी हमारा यहाँ | मातु सी पत्नियाँ दूसरों की दिखें, पापिनी
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