ग़ज़ल – चेहरे पे तेरे जो नूर आया है
चेहरे पे तेरे जो नूर आया है तुझ पर किसी हसीं का साया है मैकदा देख तेरी आंखों ने भी
Read Moreचेहरे पे तेरे जो नूर आया है तुझ पर किसी हसीं का साया है मैकदा देख तेरी आंखों ने भी
Read Moreवो समंदर है तो होने दीजिए सीप ही काफ़ी है मोती के लिए। इन हवाओं का भरोसा है कोई रूख़
Read Moreचेहरे से हटा ले जुल्फों को जरा चांद जमीं पर आने दो मैं जुगनू बन कर चमकूंगा जरा चांद जमीं
Read Moreदिल को फिर से चाहतों का तकाजा हुआ है आंख के तट पे आंसुओं का जनाजा हुआ है काश लम्हे
Read Moreहक़ीक़त को छुपाने से हक़ीक़त कम नहीं होती मुहब्बत की किसी भी हाल क़ीमत कम नहीं होती सहर से शाम
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