दोहा गीतिका – गंगा यमुना सरस्वती
गंगा यमुना सरस्वती, प्रियल त्रिवेणी धार।अग-जग को नित तारती,करती जन उपकार।। महाकुंभ मेला लगा, तीरथराज प्रयाग,मन मैला अघ ओघ से,मन
Read Moreगंगा यमुना सरस्वती, प्रियल त्रिवेणी धार।अग-जग को नित तारती,करती जन उपकार।। महाकुंभ मेला लगा, तीरथराज प्रयाग,मन मैला अघ ओघ से,मन
Read Moreबस दिल से सच्चा हिंदुस्तानी बन।आये देश के काम वह जवानी बन॥ क्यों जला रहा ख़ुद से ही ख़ुद को,अगर
Read Moreप्रेम का दरिया दिलों में फिर बहाना चाहियेज़िन्दगी को प्रेम के रंग से सजाना चाहिये | छा गयी है धुन्द
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