सदाबहार काव्यालय: तीसरा संकलन- 24
इंद्रेश भाई, आपके जन्मदिन पर उपहार स्वरूप प्रस्तुत हैं आपकी ही दो काव्य-रचनाएं आपके लिए- दो गीत 1 .नन्हीं चिरैया
Read Moreइंद्रेश भाई, आपके जन्मदिन पर उपहार स्वरूप प्रस्तुत हैं आपकी ही दो काव्य-रचनाएं आपके लिए- दो गीत 1 .नन्हीं चिरैया
Read Moreसंतुष्टि की अंजलि में हैं चाह नए साल में। जोगिया एैसी कोई बीन बजा नए साल में। मन से निर्भय
Read Moreहम किसान के वंशज हैं, देखो कितने दर्द सहे हैं।। पेट मैं भरता सभी का, छोड़ अपनी ख्वाहिशों को। रात-दिन
Read Moreशम्मा-सा जलता है पल-पल,और पिघलता नारी जीवन। देकर घर भर को उजियारा,आँखें मलता नारी जीवन ।। कर्म निभाती है वो
Read Moreसुख का सूरज नहीं गगन में।कुहरा पसरा आज चमन में।।—पाला पड़ता, शीत बरसता,सर्दी में है बदन ठिठुरता,तन ढकने को वस्त्र
Read Moreगया ज़माना सुनो उस चूल्हे – चक्की का अभी तभी तो सुनो अभी ही , चूल्हा यही उदास है वो
Read Moreशब्द गरल पीते ही अश्रु समन्दर बह जाता है। खारा जल कपोल पर ढुलके मन आघात दे जाता है। वाणी
Read Moreनारी तुम अद्वितीय रचना हो करतार की नारी तुम प्यारी सी गणना हो संसार की बेटी बन लुटाती अपार खुशियाँ
Read Moreमत लगने दो हौसलों में जंग ये बनाते हैं हमें जीवंत। समय-समय पर धार इसमें लगाते रहो। प्रयोग कर इसका
Read Moreदुनिया की उत्तम किताब है हम , मगर खुद को पढ़ना शेष है। पोथी पढ़-पढ़ थक हारे हैं, बिना मौत
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