नारि ईश्वर का स्वरूप
क्यों पुरुष को खुश करने हर समझौता करती हो, क्या कारण है जो अपनी स्वछंदता से डरती हो। तुम निर्भीक
Read Moreक्यों पुरुष को खुश करने हर समझौता करती हो, क्या कारण है जो अपनी स्वछंदता से डरती हो। तुम निर्भीक
Read Moreस्वर की लहरी पर मंद मंद , सागर की लहरें गीत गुनें । उठ- उठ गिर-गिर मद में बहकर ,जाने
Read Moreएक चित्र यादों की अलबम से कल निकला बाहर.उसने हमें दिखाये कितने भूले – बिसरे मंज़र. याद आ गया घंटों
Read Moreपथिक तुझे पथ पर चलना है अमर ज्योति बन कर जलना है। कंकड़ पत्थर से टकराना कठोर तप्त भूमि पर
Read Moreशौर्य की प्रतिमा तुम्हें, है मेरा शत-शत नमन। देह को अमरत्व दे, बौना किया तुमने गगन।। छोड़ कर घर द्वार,
Read Moreचली मनाने तीज सखी सब ,झूले डाले बागों में । गीत मनोहर छेड़ रही हैं ,मीठे -मीठे रागों में ।।1।।
Read Moreबरखा,बादल,बिजली,पानी,पावस के आयाम । शीतल,मंद समीर,फुहारें,सब सावन के नाम ।। कभी रूठ जाते हैं बादल, कभी झड़ी लग जाती सावन
Read Moreआओ भूलें!कटु अनुभव को, क्यों उनकी हम बात करें । संचित कर मृदु भाव हृदय में, आज नई शुरुआत करें
Read Moreतेरे बिन, मैं रहा अधूरा, प्रेमी संग तू पूरी है। संग साथ की चाहत मेरी, तेरी चाहत दूरी है। प्रेम
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