मुक्तक (लोरी) : घन/मेघ/बादल
माई माई के भाई मामा चंदा की मिताई लेके दूध भात आजा मीठी भरी रसमलाई आजा हो चंदा मामा ले
Read Moreमाई माई के भाई मामा चंदा की मिताई लेके दूध भात आजा मीठी भरी रसमलाई आजा हो चंदा मामा ले
Read Moreयह कैसा दौर आया है यहाँ निर्दोष मरते हैं जहाँ देखो उधर ही रोज बम गोले बरसते हैं धरा भी
Read Moreबादल नभ में छा गये, पुरवा बहे बयार। आमों का मौसम गया, सेबों की भरमार।। — फसल धान की खेत
Read Moreईमान पर न टंगती, आज देश की नीति बे-ईमानी हो गई, हर पार्टी की नीति |1| भूल हुई है आम
Read Moreवादियों की शहनाई बनके गरजता है सावन, प्रेमियों की खुशी बनके छलकता है सावन, वर्षों से गोरी बैठी जो पीया
Read Moreज्ञान विभूषित गुरु कहाँ, खोजत फिरे दिनेश त्रेता में कुंभज़ मिले, शिक्षक बने महेश राम कथा कलि मल हरण, उपजा
Read Moreशान शौकत दिखाना चलन हो गया आँख से नीर जैसे हवन~~हो गया सज रही डोलियाँ जल रही बेटियाँ आज इन्सानियत
Read Moreसाँप पाल कर बना संपेरा, काला दिवस मनाता है पाक नाम नापाक इरादा, कैसे पाक कहाता है दशहत गर्दो का
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