दम घूँटती इच्छाएँ
घूँट-घूँट पी गई सिसकियाँ अपनी आँखों के प्याले से दिल जमीं पर खिला था गुलाब सींच दिया क्रोध के निवाले
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Read Moreखाने को अन्न नहीं! मजदूर क्या करें,पीने को पानी नहीं! मजदूर क्या करें,पहनने को कपड़े नहीं! मजदूर क्या करें,आज का
Read Moreकदम दो कदम के फ़ासले ये नहीं होता फ़ासला । बुलंदियों के ऊंचाई पर रहे विरासत का हौसला ।। अपनी
Read Moreकुछ तो समझ खुदा बने इंसान या यूँहीं करता रहेगा पूजा स्वयं को समझ भगवान ये बीसवां वर्ष तेरे हर्ष
Read Moreउस युग में भगवान ने , माया का जाल बनाया था । नारद जी को उसमें , गोल गोल घूमाया
Read Moreबुलाती है मगर जाने का नहीं बढ़ाना है प्रोडक्शन बढ़ा लो मगर क़्वालिटी घटाने का नहीं नहीं होती पांचों उंगुलियां
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