पद्य साहित्य

गीत/नवगीत

“हार गये हैं ज्ञानी-ध्यानी”

कुहरा करता है मनमानी।जाड़े पर आ गयी जवानी।।—नभ में धुआँ-धुआँ सा छाया,शीतलता ने असर दिखाया,काँप रही है थर-थर काया,हीटर-गीजर शुरू

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