“कुंडलिया”
बिंदी पाई पागड़ी, स्वर हिंदी अभिमान क ख से ज्ञ तक वर्ण सभी, गुरुवर की पहचान गुरुवर की पहचान, चंद्र
Read Moreबिंदी पाई पागड़ी, स्वर हिंदी अभिमान क ख से ज्ञ तक वर्ण सभी, गुरुवर की पहचान गुरुवर की पहचान, चंद्र
Read Moreमैं भी जीना चाहता हूँ कुछ पल सिर्फ अपने लिए ….हाँ सिर्फ अपने लिए बस मैं ही मैं हूँ और
Read Moreमर्यादा के खातिर जिसने अपना घर कुर्बान किया राज्य हित के खातिर जिसने पति धर्म को त्याग दिया जो सीता
Read Moreतुझसे न दूर हो पाऊंगा सोचा था तुझे भूल जाऊंगा किसी ओर से दो बातें करके तेरी यादों से निकल
Read Moreकभी सपनों की खातिर तो, कभी अपनों की खातिर कभी पेट की खातिर तो, कभी लालच की खातिर बिक जाता
Read Moreगाँधी जी कुछ तो बोलो अरे गाँधी जी कुछ तो बोलो बाबर की भाषा अब भी कैसे कुछ लोग बोलते
Read Moreकभी कभी कुछ परिस्थितियां उत्पन्न कर देती है मन में कई सवाल जब कोई बन्दिशें रोकती है हमारे स्वतंत्र इच्छाओं
Read Moreले कागज की नाव को, बचपन हुआ सवार एक हाथ पानी भरे, एक हाथ पतवार एक हाथ पतवार, ढुलकती जाए
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