‘विश्व कविता दिवस’ पर मार्मिक कविताएँ
सोचता हूँ, अपना नीतीश काका खाँटी बिहारी हैं, यही ठीक रहेगा कि सचिन क्रिकेट के भगवान की भाँति काका भी
Read Moreसोचता हूँ, अपना नीतीश काका खाँटी बिहारी हैं, यही ठीक रहेगा कि सचिन क्रिकेट के भगवान की भाँति काका भी
Read Moreघर की धुरी कैसे अधूरी? ममता की मूरत दिल की सूरत। दुनिया में है नारी न्यारी, फिर क्यों फिरती है
Read Moreक्या कहती है जिन्दगी ज़रा ठहर कर सुन तो सही । अगणित प्रसून फैले है इस धरा पर ज़रा ठहर
Read Moreनारी है देवी, नर परमेश्वर। सबका अपना-अपना ईश्वर। पैदल चलकर भूख से मरते, कहीं, कोई है क्या जगदीश्वर? सच क्या
Read Moreपंख कुतर दिए मेरी बेटी थी वो लाडली, बेटे जैसी पली वो थी, आंगन की मेरी चिड़िया थी, सारे दिन
Read Moreनर-नारी संबन्ध निराला। पत्नी, बेटी हो या खाला। इक-दूजे को देखे बिन, गले से उतरे नहीं निवाला। नारी को कहते
Read Moreबोलो सा रा रा रा उड़ते बादल रंग रंगीले , हुई रंगीली दुनियाँ, बच्चों के सपने रंगीले ,रंग में भीगी
Read Moreहकी़कत नहीं झूठा तकरार तेरा, मगर यार सच्चा दिखा प्यार तेरा। भला है बुरा है तुम्हीं जानते हो, है सच
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