अनूप साहित्यरत्न
परिषद ने 1957 में उनके उपन्यास ‘रक्त और रंग’ के प्रसंगश: ‘बिहारी ग्रंथ लेखक पुरस्कार’ और 1981 में ‘वयोवृद्ध साहित्य
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Read Moreतन का प्रेम ‘वासना’ है और मन का प्रेम ‘बौखलाहट’ ! आप भी अपनी पत्नी को प्रेम नहीं, बल्कि ‘वासना’
Read Moreरंगों के बीच होली की दिल के बीच साली की, बात ही निराली है। घनघोर घटाओं में जब चढ़े हों
Read Moreविधा – चोका पायल और घुँघरू माथे बिंदिया, बँधी पग पायल, मुरीद पिया । और दूजी तरफ … बजे घुँघरू,
Read Moreमैं कभी-कभी निशब्द हो जाता हूं। समझ नहीं आता क्या लिखूं. और किसके बारे में लिखूं । जिनको देखकर शब्दों
Read Moreनहीं कर पाऊंगा कृष्ण मैं उनका अपमान, गुरु द्रोण, पितामह भीष्म हैं सूर्य समान। गाण्डीव गिरता जाता समक्ष उनके क्या
Read Moreशिव की मानस पुत्री ‘मनसा’ साँप से खेलने के कारण नाम ‘विषहरी’ के अहं को, जो यह समझती थी कि
Read Moreलोगों का कहना है, मैं नास्तिक हूँ ! क्योंकि मैं धर्म से भी बड़ा राष्ट्र को मानता हूँ! राष्ट्रधर्म के
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