करतब करतल के साथ
आदत के समंजन से व्याघात जारी है, कुछ भी नहीं खाली है ! जहाँ हड़बड़ी है, वहीं गड़बड़ी है ।
Read Moreआदत के समंजन से व्याघात जारी है, कुछ भी नहीं खाली है ! जहाँ हड़बड़ी है, वहीं गड़बड़ी है ।
Read Moreबहुत कुछ कहने को मन करता है, पर कामुक तन धन त्यागता है । यह प्रसंग लिए है, कुछ भी
Read Moreकितनी जिद्दी हो चले हो तुम आजकल मेरी तो कोई बात नहीं मानते, सुबह सवेरे ये सारे खिड़की दरवाजे खोल
Read Moreहम न सच के करीब हैं, न सच कहना चाहते हैं, सच सुनना तो पसंद नहीं करते ! यही आग्रही
Read Moreलोग कहते हैं और यहाँ-वहाँ करते हैं मिलकर तय करते हैं फिर भी सन्नाटा है नहीं कोई आहट है, परंतु
Read Moreलोढ़ती सरसों, देखा उसे मैंने- महेंद्र बाबू के ड्योढ़ी पर आज नहीं, कल-परसों, लोढ़ती सरसों । ××××× दिवस फ़ाग अँधियारा,
Read Moreयह सच है कि हमारे दाम्पत्य जीवन में सब कुछ ठीक नहीं है, हम नदी के दो छोर हैं उनके
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