सावन के इंतज़ार में
सावन के इंतज़ार में वो अब खामोश होकर देख रही है गगन को जैसे अपना सब कुछ खो चुकी हो
Read Moreसावन के इंतज़ार में वो अब खामोश होकर देख रही है गगन को जैसे अपना सब कुछ खो चुकी हो
Read More”भारत में जनसंख्या विस्फोट हो रहा है, हमारी सुविधाएँ सिकुड़ने लगी हैं जीवन मुश्किल में पड़ने लगा है समस्याएं जनसंख्या
Read Moreजग प्रतिपल मूढ बना जाता। मैं हर पल कर्म समा जाता। सत पथ प्रण निभा जाता। फिर ! मैं उस
Read Moreतर्क करो अपने आप में तर्क करो विपक्षी से वैज्ञानिकता के सहारे असफल हो गये हो तो चलो गहन अध्ययन
Read Moreजलता हूँ मैं अपने आपमें अक्षर बन जाता हूँ नित्य प्रज्ज्वलित ज्वाला मेरे बनते हैं अक्षर प्रखर असमानता, अत्याचारों के
Read Moreराष्ट्र हित ————————- सर्वोपरि है राष्ट्र हमारा ,सर्वोपरि यह देश है | इसकी रक्षा के हित धारा,हमने यह नर वेश
Read Moreडॉ. सदानंद पॉल की व्यक्तित्व प्रतिबिम्बित कविताएँ 1. सरदार बलदेव सिंह भारत के पहले रक्षामंत्री सरदार बलदेव सिंह के जन्मदिवस
Read Moreहम तो पागल प्रेमी हैं, बस, पल-पल गाते प्रेम के गाने। दुनिया पागल कहती, कह ले, सुन लेंगे, जग
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