बाल कविता शिशुगीत

हर दिन “वैलेंटाइन डे” : प्रेम-राज्य

“प्रेम दिवस” मनाओ चाहे “प्रेम सप्ताह” मनाओ, सबसे पहले प्रेम-प्यार से परिवार को सजाओ. परिवार में बरसे प्रेम-रस, जीवन मधुरिम होगा, छोटों पर छलकेगा स्नेह-रस, मन भी स्नेहिल होगा. इज्जत-मान बड़ों को मिले तो, सबका जीवन हर्षे, अनुभव तो मिल ही जाते, आशीर्वाद भी बरसे. परिवार हो या कोई संगठन, होता तभी सबल है, सबके […]

बाल कविता शिशुगीत

“किस डे”

यह तो हमको पता नहीं है, “किस डे” किस दिन होता है, हम बच्चों के लिए तो हर दिन, हर पल “किस डे”-“किस डे” होता है. जो भी हमको गोद में लेता, प्यार से किसी देता है, हमको तो आनंद आता है, वह भी खुश हो लेता है.

बाल कविता शिशुगीत

हग डे

सब कहते हैं आज है “हग डे”, अपना तो रोज “हग डे” होता, मम्मी देतीं जादू की झप्पी, जब मैं मचलता और रोता. रोज रात को गोद में ले मुझे, दादी गले लगाती है, प्रेम से पुचकारे औ’ दुलारे, लोरी गाके सुलाती है.

बाल कविता शिशुगीत

प्रॉमिस डे

“प्रॉमिस डे” है आज करें हम, प्रॉमिस नया कुछ करने की, देशभक्ति का अलख जगाने, दुःखियों के दुःख हरने की. प्रेम प्रभु का वर है प्यारा, प्रेम खुशी का झरना है, प्रेम है जीवन की परिभाषा, प्रेमिल जग को करना है.

कविता पद्य साहित्य बाल कविता

लौटा दो मेरा बचपन।

बीते हुए वक्त में वापस, पुनः भेज दो हे! भगवन धन दौलत की चाह नहीं,बस लौटा दो मेरा बचपन। खेल-कूद मिट्टी में करना, पगडंडी पर आगे चलना छुपम छुपाई गिल्ली डंडे, खेल खेल में खूब झगड़ना। बात बात पर दोस्त मनाते, होने पर कोई अनमन धन दौलत की चाह नहीं,बस लौटा दो मेरा बचपन।   […]

बाल कविता

बालगीत : सबको भाया एक खिलौना

सबको भाया एक खिलौना। चाचा, चाची, मौनी , मौना।। सुघर खिलौना ऐसा आया। सबके मन को अति ही भाया लंबा हो या मोटा, बौना। सबको भाया एक खिलौना।। मोबाइल सब उसको कहते। उसके बिना न पलभर रहते।। नहीं चाहता कोई खोना। सबको भाया एक खिलौना।। घंटों तक वे चिपके रहते। विरह न मोबाइल का सहते।। […]

बाल कविता

लगते फल डालें झुक जातीं

लगते फल डालें झुक जातीं। समझ सकें तो सबक सिखातीं।। तेज धूप में छाया देतीं। सब थकान अपनी हर लेतीं।। नहीं कभी देकर इतरातीं। लगते फल डालें झुक जातीं।। दातुन नीम डाल की करते। दंत – रोग हम सब ही हरते।। शाखाएँ बबूल की भातीं। लगते फल डालें झुक जातीं।। आम, संतरा, नीबू सारे। चीकू, […]

बाल कविता

मैं हिम्मत तुझसे लेता हूं

चंदामामा मुझे रोज कहें, हर रोज दूध तू पी लेना, मां दूध का प्याला दे देना, मैं चाहूं स्वस्थ हो जी लेना, पानी में आटा घोलके तू, मत कहना पी ले दूध जरा, इससे बेहतर है साफ कहो, नहीं दूध के पैसे समझ जरा. इतना तो नादान नहीं मैं, आखिर मां तेरा बेटा हूं, तेरी […]

बाल कविता

सागर-महासागर बन जाएं

छोटी-छोटी खुशी से ही ‘गर हम खुश हो जाएं, खुशियों का भंडार भर जाए, जीवन संवर जाए! छोटी-छोटी बातों-मुलाकातों पर ग़ौर किया जाए, शायद वो ही कभी बड़ी उपलब्धि बन जाएं! छोटी-छोटी हार से निराश क्यों हुआ जाए, शायद किसी दिन आशा का सूर्य चमक जाए! छोटी-छोटी उलझन को साहस से सुलझाया जाए, शायद यही […]

बाल कविता

नशा नाश का कारण

नशा नाश का कारण होता, तन-मन-धन का करता नाश, आत्मा तक भी बिक जाती है, परिवार का सत्यानाश! मोबाइल भी एक नशा है, सीमित हो इसका उपयोग, आंखें भी धोखा दे जातीं, लग सकते हैं और भी रोग. खुद भी समझें बात पते की, नशा बड़ों का भी छुड़वाएं, नशा मुक्त भारत बनाएं, आओ यह […]