साक्षरता: कुछ काव्य-रचनाएं
(विश्व साक्षरता दिवस पर विशेष) 1 .साक्षरता का सूर्य (गीत) कैसे हो कल्याण देश का जब विद्या का दीप न
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Read Moreझुन्ने ने,मुन्ने ने,मजे लिए सत्तू के। दादी जो लाई थी,गांव से,बत्तू के। महक बड़ी सोंधी सी, रूप भी निराला था।
Read Moreजन्मदिवस की बेला प्यारी, लाई है खुशियों की पिटारी, इसमें निकला स्मार्ट मोबाइल, मुठ्ठी में अब दुनिया सारी. इससे ही
Read Moreछोटी-सी बच्ची थी उम्र की कच्ची थी स्कूल जाते-जाते बोली ”ममी आपने जो ऊन-क्रोशिए से रंगबिरंगी टोपी बनाई थी वह
Read Moreस्वच्छ हवा में सांस ले सकें, मिल पाए पर्याप्त स्वच्छ जल, देती यह संदेश प्रकृति, खुशहाली में बीते हर पल,
Read Moreमत समझो हम चीं-चीं करते, हम हरि के गुण गाते हैं, मुक्त उड़ान की सुविधा दी है, उसका शुक्र मनाते
Read Moreसाक्षरता है सुख का सागर, साक्षरता है स्नेह-समीर , साक्षरता है ज्ञान-उजाला, साक्षरता है आनंद-नीर. साक्षरता आंखों का नूर, साक्षरता
Read Moreआओ पढ़ें हम, आओ पढ़ें हम, पढ़-लिखकर आगे बढ़ें हम, कोई न हमको अनपढ़ कहे अब, लगाया पढ़ाई से दिल
Read Moreमोटा जी ने पिल्ला पाला। लंबे भूरे बालों वाला।। रोज सैर को पिल्ला जाता। तनकर चलता शान दिखाता। पट्टा गले
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