गीत/नवगीत

गीत/नवगीतपद्य साहित्य

गीत (स्वामी विवेकानंद जी)

चाह यदि जीवन में उत्कर्ष।निरंतर करना है संघर्ष।। मिलेगी फिर निश्चय ही जीत,बनेगी सारी दुनिया मीत।राह में बाधक रहा विमर्ष,निरंतर

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