जनसंख्या बनाम घुनसंख्या
हमारे देश में बच्चे पैदा करना संवैधानिक के साथ धार्भिक और सांप्रदायिक अधिकार है। भला है कि विधाता ने मनुष्य
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Read Moreस्वजातीय को देखकर रंग बदलने की परम्परा अत्यंत प्राचीन है।इस मामले में खरबूजा और आदमी परस्पर प्रतियोगी की भूमिका में
Read Moreभारत ‘खोरों’ का देश है। यहाँ का बचपन प्रायः चुगलखोर होता है। बड़ा होकर धनवान होने पर वह ‘सूदखोर’ बन
Read Moreपइसा दे दो पइसा, हाहाहाहाहा- अरे-अरे आप ग़लत समझ रहे । ये कोई मुफ्त मे पैसे मांगने वाले नहीं हैं
Read Moreउस दिन नाई की तलाश में एक प्लाजा में गया। वहाँ एक सुसज्जित सैलून के सामने ठिठक पड़ा। एक बार
Read Moreभाइयो ! बहनो!!जीवधारियों में गहनो! ‘हम’ तुम्हारी नाक हैं। तुम्हारी साँस को चौबीस घण्टे,सातों दिन,बारहों महीने अंदर- बाहर लाने ले
Read Moreखुल गयी… खुल गयी… खुल गयी… आपके राज्य में हमारी “मुहब्बत की दुकान” खुल गयी! अब आपको मुहब्बत के लिए
Read Moreकुर्सी का झगड़ा भारतवर्ष का सांस्कृतिक उत्सव है। आप इसे संस्कार भी कह सकते हैं। जो कुर्सी मोहनलाल चाहता था,
Read Moreभ्रष्यों का भ्रष्ट आचरण से अपना और अपने नाम को नये उँचे मुकाम तक ले जाना बड़ी चुनौती का काम
Read Moreयह सार्वभौमिक और सर्वविदित सत्य है कि मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। उसके पूर्वज जंगली और उसके भी पहले बंदर
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