ए मेरे मन
ए मेरे मन तू जिंदगी को जी, उसे समझने की कोशिश न कर। सुन्दर सपनों के ताने बाने बुन, उसमे
Read Moreजला सको असीम आस से भरा सुदीप तो, घटे विषाद-यामिनी प्रभात भी समीप हो। सुनो सपूत!क्या कहे वसुंधरा कराहती, रहो
Read Moreबचपन की साथी पुस्तक मेरी जिसने किया भविष्य निर्माण मिला न इससे अच्छा मित्र ढूंढ लिया दुनिया जहान। शब्द बहुत
Read Moreआज के हाल, हुए बेहाल और ये आपातकाल ! कितना बेबस है वो श्रमिक रोज कमाकर खानेवाला है और,, अकेला
Read Moreसुनके ज़्यादा भी करोगे तुम क्या, ध्वनि कितनी विचित्र सारे जहान; भला ना सुनना आवाज़ें सब ही, चहते विश्राम कर्ण-पट देही ! सुनाया सुन लिया बहुत कुछ ही, सुनो अब भूमा तरंग ॐ मही; उसमें पा जाओगे नाद सब ही, गौण होएँगे सभी स्वर तब ही ! राग भ्रमरा का समझ आएगा, गुनगुना ब्रह्म भाव भाएगा; सोच हर हिय का ध्यान धाएगा, कान कुछ करना फिर न चाहेगा ! जो भी कर रही सृष्टि करने दो, सुन रहे उनको अभी सुनने दो; सुनो तुम उनकी सुने उनको जो, सुनाओ उनको लखे उनको जो ! गूँज जब उनकी सुनो लो थिरकन, बिखेरो सुर की लहर फुरके सुमन; बना ‘मधु’ इन्द्रियों को उर की जुवान, रास लीला में रमे ब्रज अँगना !
Read Moreकैसे बताऊँ तुम्हें कि तुम मेरे लिए मिस कौना नहीं, मिसेज कोरोना हो? तुम तो मेरे लिए वीणा हो, मीना
Read Moreयह 13वां साल,13वीं लिए मरगिल्ला भात-सत्तू खाते बीत गए, नियत पापड़ का नियोजित साइज, मानस-पटल पर छा गए. ●● कहने
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