भव भय से मुक्त अनासक्त
भव भय से मुक्त अनासक्त, विचरि जो पाबत; बाधा औ व्याधि पार करत, स्मित रहबत ! वह झँझावात झेल जात,
Read Moreभव भय से मुक्त अनासक्त, विचरि जो पाबत; बाधा औ व्याधि पार करत, स्मित रहबत ! वह झँझावात झेल जात,
Read Moreविरोध करेंगे, गतिरोध नहीं (लघुकथा) ”बहिनो और भाइयो, हमारे मन की आवाज है- छिड़ने दो न्याय के तारों को
Read Moreक्या गजब किया ये क्या हूजूर हो गए मतलब में पास पास थे अब दूर हो गए जब काम था
Read Moreवो सवाल से डरता बहुत है जो भी जुल्म करता बहुत है क्यों हुआ हादसा, क्यों लुटे रहजनें अगर पूछो
Read Moreलाल रंग कच्चा इरादों में पक्का बाधं आयी ..सुन तेरे नाम का धागा सच्चा.. अहसास सारे मन के सब तेरे
Read Moreमन करता है जय भारत, जय-जय भारत मैं गाऊं, जय भारत, जय भारत गा, गणतंत्र दिवस मैं मनाऊं. उठते-बैठते, सोते-जागते
Read Moreसंघर्ष का दूसरा नाम जिंदगी है ,यह बात माँ पापा घुट्टी की तरह उमा को बचपन से सिखाते आ रहे
Read Moreएक छोटा सा प्रयास रंग लाई दबी सहमी सी रहने वाली गुड़िया वर्षों बाद खुल कर मुस्कूराई। हर रोज पूछती
Read Moreछाने लगा फिर है, ख्वाहिशों का मौसम सरूर मुहब्बत का, सताने लगा है ! आलम क्या बताऊँ, दिल का मैं
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