जाड़े के दोहे
जाड़ा बनकर के कहर,लगता लेगा जान । बना हुआ है काल यह,इसको लो पहचान। कहीं बर्फ,कहीं जल गिरे,गीला हर इनसान
Read Moreजाड़ा बनकर के कहर,लगता लेगा जान । बना हुआ है काल यह,इसको लो पहचान। कहीं बर्फ,कहीं जल गिरे,गीला हर इनसान
Read More1.नव प्रात लिए, नव आस लिए, नव वर्ष का नव सोपान है, नव प्रीत लिए, नव भाव लिए, पुरातन का
Read Moreतारीखों का, खेल अनूठा, शुरू जनवरी, खत्म दिसम्बर । कल जैसा था, वैसा ही है , हंसता, गाता, भरा समन्दर
Read Moreमानव का जीवन भौतिक पदार्थेां और आत्मा के ज्ञान पर निर्भर करता है। पदार्थेां के ज्ञान को विज्ञान कहते हैं
Read Moreनवनीत नयन के नव उपवन मे, वृक्ष नये आरोपित हो। हर्षित हो हर जन का जीवन , मन्त्र मुग्ध आलोकित
Read Moreउमड़ते घुमड़ते रहे बादल अंतस में नीर बन बह ना सके नैनों से फिर मेरी कविता चूक गई उस तक
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