दोहा
“दोहा” व्यंग बुझौनी बतकही, कर देती लाचार समझ गए तो जीत है, बरना दिल बेजार।। हँस के मत विसराइये, कड़वी
Read Moreशब्द शब्द में सोचा तुम को फिर अक्षर अक्षर याद किया। प्रिय तुम्हारी खामोशी का ऐसे मैने एहसास किया।। तुम
Read Moreये राजनीतिक दल कोई सूरज-चांद तो हैं नहीं, जो एक के आने पर दूसरा चला जाएगा. ये तो वे बहाने
Read More5 जून ‘पर्यावरण दिवस’ के अवसर पर विशेष साहित्यिक लघुकथा मंच ‘नया लेखन नए दस्तखत’ पर विजेता लघुकथा
Read Moreआइये , मिलकर पढ़ें वे मंत्र । जो जगाएं प्यार मन में , घोल दें खुशबू पवन में , खुशी
Read Moreमन के द्वारे पर खुशियों के हरसिंगार रखो. जीवन की ऋतुएँ बदलेंगी, दिन फिर जायेंगे, और अचानक आतप वाले मौसम
Read Moreतुम से बिछड़ के सोचा न था, फिर तुम से यूं मिलना होगा। उन गलियों में फिर अपना, इक बार
Read More