गज़ल
हरदम करता रहा सफर मैं बना न पाया कहीं भी घर मैं लोगों ने आवाज़ बहुत दी लेकिन ठहरा नहीं
Read Moreइधर भी रंग, उधर भी रंग, जिधर देखूँ रंग ही रंग, हर किसी के ऊपर छाया रंगों का त्योहार। पूछे
Read Moreपापा अब मैं हुई बड़ी। ला दो मुझको एक घड़ी। बिलकुल भैया के जैसी। न लूँगी ऐसी वैसी। स्कूल पहन
Read Moreएक मुर्गी के चूज़े चार। मुर्गी करती उनको प्यार। चारों बहुत ही थे नटखट। दिनभर करते थे खटपट। एक दिन
Read Moreदर्द मिलना हुजूर जारी है। कहिये क्या आप की तैयारी है।। रंगत सच की सफेद है माना। झूठ की
Read Moreपहले पत्थर हुआ होगा, फिर तराशा गया होगा। उसी के बाद लोगों ने खुदा जैसा कहा होगा।। लोग कहते
Read Moreसख्त पाहन सा दिल मेरा हो ऐसा तुमने होने ना दिया लगा इश्क मेरी वफाओ से सकूँ से तुमने सोने
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