मुक्तक
मापनी- 212 212 212 212 22 आज की रात तो प्यार की रात है दिलवर, चाँदनी रात है ताज ही
Read Moreतेरी जुदाई को सहना अब आसान नहीं है मेरी आपबीती का तुझे अनुमान नहीं है साये की तरह तेरे
Read Moreथोड़ा सा प्यार चाहिये इन्हें भी अपनों का साथ चाहिये इन्हें भी सिर्फ हमदर्दी की ही जरूरत नही इक अदद
Read Moreगाँधी शताब्दी समारोह समाप्त हो जाने के बाद मैं अपनी पढ़ाई में लग गया था, हालांकि रात्रि में देर तक
Read Moreहर घड़ी तेरा मैं बेसब्री से इंतजार करता हूँ तू आये न आये पर तुझपे ऐतबार करता हूँ तू
Read More(1) गंगा मात्र नदी नहीं, समझे इसका सार गंगा माँ को मानते जीवन का आधार | जीवन का आधार, इसी
Read Moreस्वामीजी अनुभूतानन्दजी आर्य समाज के बहुमूल्य रत्न थे। दलित परिवार में जन्में स्वामी जी के मन में आर्य समाज व
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