क्या सोचते हो….अभी भी
बातें तो बहुत हैं, सीधी की हर जगह जोर की आवाज में मीठी – मीठी सुनाई दे रही हैं अपने
Read Moreबातें तो बहुत हैं, सीधी की हर जगह जोर की आवाज में मीठी – मीठी सुनाई दे रही हैं अपने
Read Moreपूछा है शाखों से जड़ों ने, हम बिन चैन क्या पाओगे? सूख गए जो प्राण हमारे, क्या तुम फिर मुसकाओगे?
Read Moreजिंदगी तुम हो हमारी और तुम से जिंदगी है जानकर अपना तुम्हें हम हो गए अनजान खुद से दर्द है
Read Moreकुहासे की चादर मौसम ने ओढ़ ली, ठिठुरन से मित्रता, भास्कर ने जोड़ ली। निर्धनता खोज रही, आग के अलाव,
Read Moreहे राम तुम्हें आना होगा, हे राम तुम्हें… जन्म हुआ था कहां आपका, आप स्वयम् बतलाना होगा। हे राम तुम्हें
Read Moreजिसे भी दूध पिलाया हमने, वह सांप ही निकला अमृत पीकर भी उसने तो, सिर्फ ज़हर ही उगला जिसे पेट
Read Moreबरसत मेघा नयनन मूँद विचरत भौंरा कलियन बूँद।। मधुरम वाणी अनहद प्रीत। बिहरत प्राणी समझत रीत।। घट घट ब्यापे नवतर
Read Moreसमुन्दर हूँ,लहरों से यूँ रगबत रखता हूँ, मैं तूफाँ से खेलने की फितरत रखता हूँ। मैं इक जर्रा हूँ, पर
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