कहानी : इंतज़ार
“मालती ! देख वो आ रहा है ” शाज़िया ने मालती को कोहनी मारते हुए कहा “ऊंहss.. ठीक है देख
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Read Moreनही नही , तह- रुश मेरा नाम नही हैं। यह एक खेल है। इस खेल का आवश्यक खिलाड़ी हूँ मैं।
Read Moreरात का तीसरा पहर चल रहा होगा , चारो तरफ डरावना घुप अँधेरा ।बस्ती में इंसान तो क्या जानवर भी
Read Moreभाग दौड़ बस,कहीं नहीं दिखता कोई ठहराव! जाने किस लिए है इतनी भाग दौड़। क्या पहले समय में इन्सान ज़िंदगी
Read Moreधन्ना सेठ अभी नए आए हीरों को लेंस के नीचे रख-रख कर परख रहे थे। परख क्या रहे थे; बस
Read Moreकिसी कपड़े की क्या कीमत हो सकती है इसका अंदाज़ा लगाना नामुमकिन है। विशेषकर हमारे यहाँ; जहाँ हर तबके के
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