तरही ग़ज़ल !
कैसी ये आफत है हम कहेंगे कैसे। दिल पर इस बोझ को अब सहेंगे कैसे। वतन की कम खुद की
Read Moreकैसी ये आफत है हम कहेंगे कैसे। दिल पर इस बोझ को अब सहेंगे कैसे। वतन की कम खुद की
Read Moreतुमसे मिलकर मुझे यों ख़ुशी मिल गई. ज़िंदगी को नई जिंदगी मिल गई. मुझको ऐसा लगा इक ख़जाना मिला, वर्षों
Read Moreहम भारतवासी है यह सबको बताने आता है अपने देश के लिये हमे खुन बहाने आता है मिली है हमे
Read Moreए कलम तु ऐसी चल की देश मे क्रांती ला दे वीरो के रग रग में देशभक्ती का जोश जगा
Read Moreचेहरे नहीं बदले गये तो आइने बदले गये जब लोग बेढंगे चले तो रास्ते बदले गये। धरती का वो भगवान
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