मुक्तक/दोहा

मुक्तक/दोहा

मिटाने अँधेरा चला दीप जैसे

मिटाने अँधेरा चला दीप जैसे, निशा खिलखिलाती बताते रहे हम । कहाँ का अँधेरा मिटाने चला तू, सदा रोशनी दिल

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मुक्तक/दोहा

विधा : दोहे

(1)प्रेम रहा नहि प्रेम अब,प्रेम बना व्यापार |प्रेम अगर वह प्रेम हो,प्रेम करे भवपार ||(2)प्रेम संग पेशा मिला,हुआ बाद फिर

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