हमीद के दोहे
सफल नहीं होगा यहाँ, अब कोई षडयंत्र। धीरे धीरे हो गया , समझ दार गणतंत्र। जिनके दिल में है नहीं,ज़र्रा
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Read Moreतीन मुक्तक एक गणतंत्र दिवस राजपथ पर पृथ्वी अर्जुन ब्रह्मोस आदि दिखलाते हैं देश की आत्मा पर हो रहे हमलों
Read Moreरचें सियासी बेशरम, जबजब भी षड्यंत्र ! आँखे मूँद खड़ा विवश, दिखा मुझे गणतंत्र !! कहलाता गणतंत्र का, दिवस राष्ट्रीय
Read Moreआपस में लड़िये नहीं, नई रोज़ इक जंग। जीवन को करिये नहीं, तरह तरह से तंग। पद की खातिर हो
Read Moreगर्व से हिंदी में सिखाती हूँ शान से हिंदी में पढ़ाती हूँ आजीविका भी हिंदी से जुड़ी हिंदी को ओढ़ती
Read Moreअवसर खोता है अगर , रहता है नाकाम। चाहे जितना हो प्रखर , पड़ा रहे गुमनाम। सत्य अहिंसा पर टिके
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