संजीवनी बूटी
पुस्तकालयों में बिखरी हुई हैं , हजारों हजार किताबें बिखरी हुई किताबें तड़प रही हैं किताबें—- कोई हाथ इन्हें छूए
Read Moreपुस्तकालयों में बिखरी हुई हैं , हजारों हजार किताबें बिखरी हुई किताबें तड़प रही हैं किताबें—- कोई हाथ इन्हें छूए
Read Moreसमय सबका आता है, समय सब बदल देता है । उम्मीद का दामन क्यो छोड़े हर चीज़ बदलती है ।।
Read Moreबिखरी,बिखरी सी थी अब स्वयं में सिमटने लगी हूं मैं सलीके की जिंदगी से अब थोड़ी बेपरवाह होने लगी हूं
Read Moreछोटी छोटी बनी मढैया, घास फूंस की पडी हो छैया, मिट्टी की दीवारें उसकी, धरती पर गोबर की लिपैया। फल
Read Moreहर घर में हो अब नारी की शिक्षा पाकर वह अपने परिवार का करें दीक्षा ना दो अब कोई नारी
Read Moreचैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नौवीं तिथि जब आती है नवरात्रों का होता है समापन इस दिन राम नवमीं
Read More“कन्हैया” के लिए वॉलीवुड और साउथ फिल्मों के विलेन से लेकर ‘गॉड मदर’ के द्वारा प्रचार करने क्यों हैआवश्यक ?
Read Moreत्राहि त्राहि कर रहा देश मची ऐसी हा हाकार दम तोड़ रही सांसें कहीं बिना इलाज के क्योंकि नहीं मिल
Read Moreअर्जन सर्जन भाव से, मेघ करें उद्घोष। जगजननी भयहारिणी, शुभ मंगल जयघोष । आदिशक्ति वरदायिनी, महिमा अपरम्पार । भक्ति भाव
Read Moreदुनिया की उत्तम किताब है हम , मगर खुद को पढ़ना शेष है। पोथी पढ़-पढ़ थक हारे हैं, बिना
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