यूँ तो शान्ति
यूँ तो शान्ति किसे नहीं सुहाती फिर चाहे पशु-पक्षी हो या इंसान शान्ति का होता एक विज्ञान जो आरोग्य प्रदान
Read Moreयूँ तो शान्ति किसे नहीं सुहाती फिर चाहे पशु-पक्षी हो या इंसान शान्ति का होता एक विज्ञान जो आरोग्य प्रदान
Read Moreक्या चलता किस के मन में जान नहीं सकता कोई कौन अपना कौन पराया बातों से पहचान सके नहीं कोई
Read Moreपल बदलते हैं , संवत बदलते हैं और मन्वंतर बदलते हैं इंसान वही रहता है खुद को खोजता हुआ बाहर
Read Moreमैं श्मशान हूँ जलाती हूँ, चांदनी रात के सफेद उजियारा में दहकते शव जल रहे थे, नदी की मध्यम धारा
Read Moreसच मानों तो दिल की बातें, और किसी को न बताना। जख्म चाहे हो जितने गहरे, दिल खोलकर न दिखाना।
Read Moreपत्तों पर जमी धूल,चिपटी है उनसे जैसे चिपटा है विकास मानव सभ्यता से.. टूट-टूटकर मिट्टी बदल गयी है धूल में,
Read Moreविलासिता प्रदर्शित करनेवाले चीजों को व्यवहार करनेवालों को ‘पद्म अवार्ड’ नहीं मिलनी चाहिए, चाहे वो कोई भी हो ! ××××
Read More