उलझनों के झूले
उलझनों के बीच भी मुस्कुराती हैं। अपने दर्द को दो घड़ी भूल जाती है। जिंदगी हर त्यौहार को , हर
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Read Moreटाइम नहीं है (कविता) आज जब बैठा मैं लिखने अपने विचार, लिखना तो बहुत था पर लाइनें लिखीं दो-चार, ऐसा क्यों
Read Moreभारत की जनता को अपना इतिहास पढ़ाया नहीं गया सम्राट अशोक औ चंद्र गुप्त थे कौन बताया नहीं गया बस
Read Moreधूप में चलता हूँ, सुख और आराम को त्यागकर कि मेरी यात्रा मानव की ओर है एक अच्छे समाज की
Read Moreऔरतें बहुत चालाक होती हैं बड़ी ही सावधानी से, अपने चारों ओर इक वृत्त खींच लेती हैं ! … और
Read Moreवृक्षों की भाषा को समझें क्या कहते इनकी हरियाली देकर अन्न-फल-दलहन-तिलहन, पेड़ बढ़ाते है खुशहाली हम जब हरे-भरे होते हैं
Read Moreहर चुनौती करे हंस के स्वीकार वो होती है बेटियां, माँ-बाप के हर सांस का अहसास करे वो होती है
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