नारी : कल, आज और कल
भोर के उजास की दिपदिपाती गोल,लाल बिदिंया,सिन्दूरी मांग,लजीले नेत्र,मौन मुस्कराते बन्द होंठ ,पांव के अंगूठे से जमीन कुरेदती हुई धोती
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Read Moreकालिका देवी आवेश में बोली- नारद ! पूरे विश्व में साम्राज्ञी को सामग्री बनाकर नारी सशक्तिकरण का नाटक किया जा
Read Moreमनुष्य एक सामाजिक प्राणी है।जिसका अपना सामाजिक और मानवीय धर्म भी है, जिसका निर्वहन उसे करना ही होता है। चूंकि
Read Moreआज दुनिया की आधी आबादी महिलाओं की है। राष्ट्र के निर्माण में महिलाओं की अहम भूमिका है। आज महिलाएं शिक्षा,
Read Moreकिसी भी दिवस विशेष का मनाया जाना इस बात की तरफ संकेत करता है कि जिस विषय अथवा व्यक्ति को
Read Moreहर साल वूमेन डे पर स्त्री विमर्श लिखते हुए सोचती हूॅं अगले साल स्त्री स्वतंत्रता पर लिखेॅंगी। लेकिन विमर्श का
Read Moreयथार्थ में नारी सशक्तिकरण आज भी अधूरा सा ख़्वाब है ! यथार्थ यही है आप माने या न माने किंतु
Read Moreहम एक तरफ बात करते हैं, कंधे से कंधा मिलाकर काम करने की| स्त्री पुरुष दोनों एक सम हैं साथ
Read Moreसीधे -साधे संत प्रवृत्ति के करुणावान लोग दूसरों के लिये अच्छा बनने के फलस्वरूप खुद के लिये बुरे बन जाते
Read Moreहमारा चरित्र ही हमारा सबसे बड़ा धन है, वैसे चाहे हमारे पास कितनी भी संपत्ति हो कितने भी हीरे जवाहरात
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