क्या दोष है मेरा
मेरे विचारों में शब्दों में कौन सा विष है जो हानि करता है दूसरों की मैं न्याय की बात करता
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Read Moreछिन्न भिन्न कर डाला उसको प्रकृति के भींगे है नयन तभी कोरोना तभी अधियाँ आफत आई है ये गहन मिली
Read Moreव्यंग्य कविता। बात होती जब वतन की वो सवाल करते हैं। खामोशी से कभी आंखों से कमाल करते हैं। तुम
Read Moreभूकम्प बहुत हिंसात्मक हो सकते हैं और कुछ ही क्षणों में लोगों को गिराकर चोट पहुँचाने से लेकर पूरे नगर
Read Moreरिमझिम-रिमझिम पड़ीं फुहारे।बारिश आई अपने द्वारे।।—तन-मन में थी भरी पिपासा,धरती का था आँचल प्यासा,झुलस रहे थे पौधे प्यारे।बारिश आई अपने
Read Moreचाह आसरों की रखना छोड़ भी दे सहारा औरों का करना छोड़ भी दे खुश रखना खुद को तेरी जिम्मेदारी
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