रिश्ता
शिविका से मिलना क्या हुआ, मौसम गुलाबी हो गया! हर सोमवार को सुबह ठीक साढ़े आठ बजे वह आती थी.“आंटी
Read Moreलड़की और बेल के बढ़ते देर नहीं लगती. देखते-ही-देखते घर-घर बर्तन-झाड़ू-फटका करने वाली कौशल्या विवाह के योग्य हो गई. मौसम
Read Moreकविता लिखना अर्थात संवेदनशील सूक्ष्म दृष्टि से भावों को आत्मसात करके उन्हें अभिव्यक्त करना। अनेक भावनाओं का आत्म-अवलोकन करके उन्हें
Read Moreमन रहता बदहवास सा तेरे बगैर अब,लगे बुझी बुझी सी शाम तेरे बगैर अब। खिड़की से ताकते रहते सुदूर चांद
Read Moreफूल चढ़े हर मोड़ पर, भाषण की झंकार।बाबा तेरे नाम पर, सत्ता करे सवार॥ मंच सजे, माला पड़े, भक्तों का
Read Moreहर चौक-चौराहे पर अब, सजती है एक माला,बाबा साहब की तस्वीरें, और सस्ती सी दीवाला।नेता भाषण झाड़ रहा है, मंच
Read Moreगर्मी आई,आंधी आई,उड़ रही है धूल।आ पहुंचे हैं फल रसीले,जो रखेंगे तुमको कूल।। लगता सेठ जी जैसा,हरा भरा तरबूज।मीठा मीठा
Read Moreबाबा साहब के विचारों—जैसे सामाजिक न्याय, जातिवाद का उन्मूलन, दलित-पिछड़ों को सत्ता में हिस्सेदारी, और संविधान की गरिमा की रक्षा—को
Read Moreभारत में सरकारी स्कूल सामाजिक समानता और शिक्षा के अधिकार के प्रतीक हैं, लेकिन बजट कटौती, ढांचागत कमी और शिक्षकों
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