वट वृक्ष
वट वृक्ष की अनुपम छाया में, ममता मय अनुराग लिये / बैठी धीर प्रवीण सी बाळा, अनुपम मन उद्वेग लिये /
Read Moreकहां खो गया हमारा वो बीता हसीं कल वो साथ बिताये हुए कुछ प्यार भरे पल वो लम्हें जिनमे हम
Read Moreअब तो हर पल उनका ही चेहरा याद आने लगा है अभी तक बिताये थे जो लम्हे साथ साथ जाने
Read Moreजाने वाला चला जाता पीछे छोड़ जाता एक लंबी खामोशी एक खालीपन एक खलाह एक दरिया एक औरत के दिल
Read Moreबेटी ब्याह के जब पराए घर जाती है | सीख अपने बाबुल से यही लेकर जाती है | अब खत्म
Read Moreअब प्रेम ही विष बरसाने वाला है। हृदय के हर तंतु को झुलसाने वाला है। “मीरा” का प्रेम कालकूट में
Read Moreसाँझ थी होने को आई, शाम की हवा की ये हिलोरें अन्त:स्थ के स्पंदन के वेग को कुछ बढ़ाने लगी,
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