जल कर बुझना
दीपा एक संयुक्त रुढ़ि वादी परिवार की बड़ी बहू थी । मां बाप की लाड़ली दादी की परी एक सुन्दर
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Read Moreचिंकी अपने बच्चे को हाथों के पालने में सुला रही थी। अचानक खिलखिलाने आवाज आई। उसके पति रोहित के साथ
Read Moreरश्मि आज बरसों बाद इधर आई थी। उसे खण्डहर में बदल चुके अपने मकान को बेचना था सो खुद सड़क
Read Moreमाँ की बरसी पर तस्वीर के आगे फूल चढ़ाते हुए मेरे आँसू जैसे सारे बाँध तोड़ कर निकल पड़े ..दोनों
Read Moreलेबररूम से बाहर निकलते ही डाॅ. सुबोध मरकाम जी बोले- “भरत लाल ! बधाई हो। तुम बाप बन गये। अंदर
Read Moreराजेश-तुम्हे पता है मोहन तुममें एक विशेष गुण है। जिससे तुम्हारा नाम पूरे मोहल्ले में छाया हुआ है मोहन-नही मुझे
Read Moreअरसे बाद गाँव की गलियों में कदम रखते ही बच्चे ,बुढ़े सब उसे टकटकी निगाहों से देख रहे थे अरे!
Read Moreपूरा मोहल्ला होली के रंगों से खेलते झूम रहा था। देहरी के पीछे धवल वस्त्र लपेटे खड़ी पच्चीस साल की
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