ग़ज़ल
सजी महफ़िल ग़ज़ल की हो सुनाना अर्ज भी होगा | ज़माने की हकीकत को बताना फर्ज भी होगा || छिपा
Read Moreसाथ अपने हमेशा पाओगे मुश्किलों में जो आजमाओगे दर्द को बाँट लीजिए वर्ना बाँध के जैसे टूट जाओगे
Read Moreधधकती आग बरसी है सभी डरते जिधर देखो हुई फिर देश में हिंसा लहू बिखरा इधर देखो अहिंसा के पुजारी
Read Moreसर झुकाऊँ तो ये सर जाता है. ना झुकाऊँ तो हुनर जाता है. जितना सोचूँ कि भुला दूँ उसको, ध्यान
Read Moreग़ज़ल (हिन्दी हमारी जान है) बह्र:- 2212 2212 हिन्दी हमारी जान है, ये देश की पहचान है। है मात जिसकी
Read Moreज्योति-दीपक सौख्य का उपहार दीवाली। बाँध लाई गाँठ में फिर प्यार दीवाली। आस के आखर उभर आए हवाओं में कर
Read Moreअल्लाह गर हैं तेरे भगवान हैं मेरे भी है लाल लहू तेरा तो लाल है मेरा भी इंसान रहो बनके
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