खुशवार दीवाली/ग़ज़ल
ज्योति-दीपक सौख्य का उपहार दीवाली। बाँध लाई गाँठ में फिर प्यार दीवाली। आस के आखर उभर आए हवाओं में कर
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Read Moreअल्लाह गर हैं तेरे भगवान हैं मेरे भी है लाल लहू तेरा तो लाल है मेरा भी इंसान रहो बनके
Read Moreप्रति दिन दान किया जाता है मान गुमान किया जाता है जिंदगी चलती नेक राहों पर चल अभिमान किया जाता
Read Moreराहो-मंज़िल सभी की जुदा देखिये आदमी आदमी से ख़फ़ा देखिये झांकिए मत गिरेबां हमारा मियाँ इक दफ़ा आप भी आइना
Read Moreमुहब्बत में अपनी असर चाहता हूँ वफ़ा से भरी हो नज़र चाहता हूँ तेरा दिल है मंज़िल मेरी चाहतों की
Read Moreकभी अपनों से अनबन है कभी गैरों से अपनापन दिखाए कैसे कैसे रँग मुझे अब आज जीवन है ना रिश्तों
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