मुक्तक
हौसलों की बुलंदी से चट्टानों को चूर करूँगीदुश्मनों को झुकने को अब मैं मजबूर करूँगीमंजिल चाहे कितनी दूर क्यों हो
Read Moreख़ूब रचा विज्ञान ने,सुविधा का संसार। जीवन में सुख भर गया,दिखता जीवन-सार।। आना-जाना,परिवहन,लेन-देन,संचार। नए सभी कुछ हो गए,शिक्षा अरु व्यापार।।
Read Moreथी दीवानी श्याम की,मीरा जिसका नाम। जो युग-युग को बन गई,हियकर अरु अभिराम।। पिया हलाहल,पर अमर,पाया इक वरदान। श्रद्धा से
Read Moreमरीजो की करें सेवा समर्पित करके जीवन धन। लड़े दिन रात रोगों से मनुज को दे रहे जीवन। यही भगवान
Read Moreमुक्तक एक वीर भूमि की सीमा फिर से है जाग उठी, लहू युद्धभूमि में रणबांकुरों से मांग उठी। पैशाचिक ताण्डव
Read Moreजीवन में संवेदना,लाती है मधुमास। अपनाकर संवेदना,मानव बनता ख़ास।। संवेदित आचार तो,है करुणा का रूप।। जिससे खिलती चाँदनी,बिखरे उजली धूप।।
Read Moreतन मन सारा शुद्ध कर, करता रोज़ निरोग। सेहत की चाहत अगर, नियमित करिये योग। योग शुरू यदि कर दिया,अब
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