पाक अभी भी नापाक है
मुक्तक एक वीर भूमि की सीमा फिर से है जाग उठी, लहू युद्धभूमि में रणबांकुरों से मांग उठी। पैशाचिक ताण्डव
Read Moreमुक्तक एक वीर भूमि की सीमा फिर से है जाग उठी, लहू युद्धभूमि में रणबांकुरों से मांग उठी। पैशाचिक ताण्डव
Read Moreजीवन में संवेदना,लाती है मधुमास। अपनाकर संवेदना,मानव बनता ख़ास।। संवेदित आचार तो,है करुणा का रूप।। जिससे खिलती चाँदनी,बिखरे उजली धूप।।
Read Moreतन मन सारा शुद्ध कर, करता रोज़ निरोग। सेहत की चाहत अगर, नियमित करिये योग। योग शुरू यदि कर दिया,अब
Read Moreसबके सुख की बातें करते, लेकिन दुःख ही बाँट रहे हो। देख रहे हो, सबकी कमियाँ, अपने को ना आँक
Read Moreगए जमाने बीत वह, कहलाते थे नाथ। हम तुमको ही नाथ दें, नहीं चाहिए साथ।। पिजड़ों को हम तोड़कर, आज
Read Moreरब की नज़रों में वही,बन्दा होता खास। मातपिता को जो रखे,दिलके अपने पास। सारे अच्छे लोग जब, हो जायेंगे मौन।
Read Moreजो तन मन से हैं सधे, उत्तम हैं वो लोक। आत्याचार देख तभी, हैं लेते जो रोक। खामोशी है मारती,
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