दोहे “सच्चाई का अंश”
जब भी लड़ने के लिए, लहरें हों तैयार।कस कर तब मैं थामता, हाथों में पतवार।।—बैरी के हर ख्वाब को, कर
Read Moreजब भी लड़ने के लिए, लहरें हों तैयार।कस कर तब मैं थामता, हाथों में पतवार।।—बैरी के हर ख्वाब को, कर
Read Moreस्वारथ का संसार यहां संबंधी कौन किसी का। रिश्ते-नाते, परिजन, परिचित बनते अंग इसी का। पर होता कोई जिसकी यादों
Read Moreघर आने की जद्दोजहद, भूखे बेबस व लाचार, जान की परवाह नहीं, पहुँचे कैसे भी घर द्वार। सैकड़ों मीलों जाकर,
Read Moreलॉक डाउन के चौथे चरण में खुलने लगी दुकान, झट पट अधिकतर दौड़ पड़े हैं, खरीदने सामान। पर इतना समझ
Read Moreपृथक् नहीं कोई रहे, सभी रहें संयुक्त जीवन भर हम सब रहे, कोरोना से मुक्त 1 कुछ ऐसा होवे जतन,
Read More01 बेदना के स्वरों मे मै पलता रहा, मोम सा हरदम यू ही गलता रहा। हवाओ ने तो आहत किया
Read More(1) सदा सच्चों को रहता ईश का ही तो सहारा है जो झूठा है,जो कपटी है,वो बंदा नित्य हारा है,
Read More1) तूँ प्यार से मेरा सर जो सहलाती नहीं है । तेरे तस्वीर की माला मुझे सुहाती नहीं है ।।
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