खट्ठा-मीठा : कुछ नहीं बदला
“कुछ नहीं बदला। दो साल बेकार गये। मोदी को इस्तीफ़ा दे देना चाहिए।” वे ज़ोर-ज़ोर से बोलते हुए मेरे कमरे
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Read Moreआज बात की टमाटरों से, दिखते थे वे लालमलाल, हमने पूछा, ”शिमला होकर आए हो क्या, या गुस्से से सुर्ख़
Read Moreगोवध समस्या को लेकर बहुत वाद-विवाद हो चुका है और होता रहेगा। कारण स्पष्ट है। जहाँ समाज का एक धड़ा यह
Read Moreगोवंश उदास हो तलाश कर रहा है असहिष्णुता का ढिंढोरा पीटनेवाले उन महानुभावों को जो पिछले दिनों कुछ अधिक ही
Read Moreपप्पू को कई महीनों बाद पांच सौ के नोट के दर्शन हुए. उसकी खुशी का ठिकाना न रहा. बड़े जतन
Read Moreहमारी गली की नम्बरदारनी इस बात से बहुत परेशान रहती है कि गली के कुत्ते अब उनकी परवाह नहीं करते।
Read Moreआज से तकरीबन ५०० वर्षो पहले ,एक घोड़े की मौत पर जितना दुख भारत के लोगो ने जताया था ,
Read Moreआजकल मै लगभग खाली हूँ. मेरे खाली दिमाग में एक बिल्कुल नया अद्भुत आयडिया आया है. सोचता हूँ नीतिश जी
Read Moreसपना सुबह साढ़े चार बजे का था, मां कहती थी, जागने से ठीक पहले का सपना जल्दी ही सच होता
Read Moreप्राथमिक कक्षाओं से अब तक यही पढ़ता-पढ़ाया आया हूँ और जैसे कि सारा संसार जानता है-‘भारत अनेक धर्मों का एक
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