खुशियों की उम्र नहीं
जबसे साठ वसंत पार हुए, अपने होने लगे हैं किनारे, आ जा प्यारे मिलकर हम उनके ज़मीर को ललकारें। आ
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Read Moreमहिलाएं तो बस सम्मान चाहती है । बदलें में हर रिश्ते से, फर्ज निभाती हुई भी जब अपमान ही पाती
Read Moreबांदा। बेसिक शिक्षकों के अखिल राज्य स्तरीय काव्य मंच परवाज के सोलहवें अंक फाग विशेषांक में जनपद बांदा के नवाचारी
Read Moreमैं जहां देखता हूं मुझे तुम ही नजर आती हो, कभी दुर्गा बन सिंह पर सवार हँसती मुस्कुराती हुई, तो
Read Moreतुम अपनी दुनिया में खुश हो, हम तुम्हारी यादों में जीते हैं। वर्तमान और भविष्य को छोड़ा, हम भूत का
Read Moreदेखो यह दीवानों तुम यह काम न करो पहन कर फटी जींस मम्मी पापा का नाम बदनाम न करो तुम्हें
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