गीत – तेरे जैसा दुनियां में इन्सान नहीं
उर्वर भूमि के मालिक उद्यमी कृषक सुन। नींव के सृजक प्रभाकर श्रमिक सुन। तेरे खून पसीनें में तो सूरज है।
Read Moreउर्वर भूमि के मालिक उद्यमी कृषक सुन। नींव के सृजक प्रभाकर श्रमिक सुन। तेरे खून पसीनें में तो सूरज है।
Read Moreपी से अनुराग होने लगा धड़कन में राग होने लगा बिन सावन बिन चैत सखी जीवन में फाग होने लगा
Read Moreघुला मौसम-ए-रंग बसंती बसंती, उसपे हवाओं की ये शोख मस्ती, खुदा की कसम ये हसीं यूं न होती, अगर इसमें
Read Moreपीली – पीली सरसों फूलीनाच रहे हैं खेत। फूल बसंती महक रहे हैंलगा रही पिक टेर।कब आओगे मोहन प्यारेकरो न
Read Moreमाह फरवरी आतुर है मन, धरा प्रेम बरसाई, सुरभित गुलाब की पंखुड़ियाँ,
Read Moreईश्वर की अनुपम रचना, मैं शक्तिस्वरूपा नारी हूँ । कुल परिवार सँभाल रही हूँ,, घर भर की उजियारी हूँ ‘माँ’
Read Moreजब न आकांक्षाएं, हिलोरे मारेंऔर न कुछ पाना, ही हो जरूरीफिर हम क्यों, हां में हां मिलाएऐसी भला है, क्या
Read Moreये तेरा दल ये मेरा दल हो हाथ झाड़ू या कमल जहाँ मिले मलाइयाँ वहीं को चल वही को चल।
Read Moreमैं विश्वनाथ का नंदी हूँ, दे दो मेरा अधिकार मुझे। वापी में हैं मेरे बाबा, कर दो सम्मुख-साकार मुझे।। अब
Read Moreजन्न्त का पहनावा पा कर आई फिर बसंत धरती दुल्हन भांति सजा कर आई फिर बसंत खुशबू के अलंकार
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