गीतिका
“दोहा गीतिका” बहुत दिनों के बाद अब, हुई कलम से प्रीति माँ शारद अनुनय करूँ, भर दे गागर गीत स्वस्थ
Read Moreफिर शर्मसार हुई मानवता फिर से जागा शैतान कोई फिर हैवानियत ग्रास बनी है फूल सी नन्ही जान कोई किया
Read More‘भइया, 10 किलो नींबू और 5 किलो हरी मिर्च तोल दे जल्दी से’ कमला सुबह 4.30 बजे ही थोक सब्जी
Read Moreहुई बरसात तो तुम याद आए उमड़े जज्बात तो तुम याद आए, हिचकियां हिचकियों पर आती रही किसने किया याद
Read Moreअपने दिल के अरमान बेच कर, दूसरों के दुःख दर्द खरीद लेता हूँ, अब यही तो है व्यापार मेरा, दो
Read Moreगर्मी का मौसम है आया। आड़ू और खुमानी लाया।। आलूचा है या कहो बुखारा। काला-काला कितना प्यारा।। खट्टे-मीठे और रसीले।
Read Moreजैसा के ब्लॉग का शीर्षक है, आज हम आपको एक चमत्कारिक नुस्खे के बारे में बताने जा रहे हैं, लेकिन
Read More“छंदमुक्त काव्य” गुबार मन का ढ़हने लगा है नदी में द्वंद मल बहने लगा है माँझी की पतवार या पतवार
Read Moreपत्रिका : परिंदे (लघुकथा केन्द्रित अंक) फरवरी-मार्च’19 अतिथि सम्पादक : कृष्ण मनु संपादक : डॉ. शिवदान सिंह भदौरिया 79-ए, दिलशाद
Read More“नन्दू दीईई…..” बाजार में नन्दिनी को अचानक देखा तो खुद को रोक नही पायी ऋचा। “नन्दू दी रुकिए ज़रा,” अपनी तरफ
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