नई परंपरा
नई परंपरा “बेटा, अब अपने दाहिने पैर से इस कलश को ठोकर मारकर लुढ़काओ और गृह-प्रवेश करो।” नवविवाहित पुत्र और
Read Moreसमीक्ष्य कृति- रास्ता बनकर रहा ( ग़ज़ल संग्रह)ग़ज़लकार- राहुल शिवायप्रकाशक- श्वेतवर्णा प्रकाशन, नई दिल्लीसंस्करण – प्रथम ( 2024)मूल्य -249 (पेपरबैक)रास्ता
Read Moreलघुकथारेस का घोड़ा“”””””””””””””“हेलो सर!”“हलो…।”“क्या मेरी बात डॉ. शर्मा जी से हो रही है।”“हाँ जी, बोल रहा हूँ। पर आप…”“काँग्राचुलेशन्स सर।
Read Moreचंदा का अर्थशास्त्र”””””””””””“नमस्कार सर, आज हम आपके यहाँ गणपति चंदा के लिए आए हैं।” पाँच लोगों के साथ आए रमेश
Read Moreन…न…न… मुझे ग़लत मत समझिए। मैं केजरीबवाल का साथी नहीं हूँ और किसी शराब या खनन घोटाले से भी मेरा
Read Moreराष्ट्रीय शिक्षक संचेतना उज्जैन द्वारा होली के पावन पर्व पर एक आभासी अखिल भारतीय काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया।
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