ग़ज़ल
चाहा तुमको हमने इतना।इन आँखों के नूर रहे हो।। बेदर्द तुम्हीं बनते फिरते।लगता एक फ़ितूर रहे हो।। तुम तो जैसे
Read Moreविद्यालयों में नीतिगत शिक्षा अनिवार्य होनी चाहिए, ताकि छात्रों में नैतिकता और अनुशासन का संचार हो. नीतिगत शिक्षा से छात्रों
Read Moreजब कोई आम नागरिक सरकारी कार्यालय के चक्कर काटते-काटते थक जाता है, तब उसे एक मार्गदर्शक तारे की तरह भ्रष्टाचार
Read Moreसाहित्य का असली मक़सद तो समाज की सच्चाई को उजागर करना, लोगों के जज़्बात और दर्द को आवाज़ देना था।
Read Moreदशमांशिनी की भीनहीं अधिकारिणीवे अर्धांगिनी संभव नहीं,भगवान ही बचाए‘ऐसियों’ से नए युवाओं को। झूठी है पंडित की पत्रिकाझूठे हैं हवन
Read Moreपिता पिता – से एक हैं,अन्य न पिता समान।माँ धरती आकाश वे, संतति के भगवान।। रहते पिता अभाव में, पर
Read Moreगुल्लक है धनवान हमारी।लाल -लाल माटी की प्यारी।। बाहर – भीतर नोट भरे हैं।नीले , पीले , लाल , हरे
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