कविता

कविता

पराधीन हो कर जीवन जीने की अपेक्षाकृत जीवन को ना जीना अधिक बेहतर है क्यों कि बेज़्ज़त हो कर सिर्फ़ साँस ली जा सकती है, जिया नहीं जा सकता है। जिन लोगों ने अपमान किया हो, भेदभाव किया हो, दुर्व्यवहार किया हो, उन्हें फिर से दूसरा मौक़ा देना सबसे बड़ी मूर्खता होती है॥ जिस प्रकार […]

लघुकथा

दिखावे का नक़ाब

“पोती का पहला जन्मदिन बहुत बहुत मुबारक सुलभा बहन जी। आज की बर्थडे पार्टी में तो आपने जी भर कर पैसा खर्च किया है। कितना सुंदर आयोजन ,वाह!!सचमुच रौनक लगा दी आज तो आपने।बहुत ही किस्मत वाली है आपकी बहू जिसे रंजीत जैसा सुंदर,समझदार,कामयाब पति और आप जैसे सास ससुर मिले जो लड़का लड़की में […]

विज्ञान

6जी दृष्टिकोण पत्र

वैश्विक स्तर पर विशेष रूप से प्रौद्योगिकी स्वास्थ्य शिक्षा और परिवहन क्षेत्र में भारत के तेजी से अचंभित विकास से दुनिया की नजरें भारतकी ओर उठ गई है,क्योंकि अब सारे विश्व को यह अंदेशा हो गया है कि भारत पहले जैसा नहीं रहा। अब वहां विकास के आगाज़ की झड़ी सी लग गई है। 135 […]

धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

ब्रह्म, वायु पुत्र, प्रकांड विद्वान, ज्योतिष विद्वान, संगीतज्ञ: रामभक्त हनुमान

हनुमान जयन्ती (5 अप्रेल) विशेष ब्रह्मचारी राम भक्त हनुमान रामायण के प्रतिष्ठित एंव बलपूर्वक पात्र हैं। संजीवनी बूटी लाकर लक्षमण को जीवंत करना उनका एक सर्वश्रेष्ठ उद्यम माना जाता है। वह मानवता के सर्वगुण सम्पन्न थे। वह एक महान संगीतज्ञ, अच्छे गायक, प्रकांड विद्वान, ज्योतिष विद्वान, वायु पुत्र, बजरंगी अष्ट सिद्धि और नौ निधियों के […]

लघुकथा

कहां गये वो दिन

आज बहुत दिन बाद  मंजरी मायेके जा रही थी । वह देश से ही बाहर थी । जब भारत लौटी अपने सब काम से निपट कर सोचा चलो बहुत साल बाद आई हूँ पूरे परिवार से मिलती हूँ । फोन पर सबकी बाते पता चल जाती थी फिर भी लम्बी बात नहीं होती थी । […]

कविता

धरती पोषण दे हमें

सागर निर्झर सर नदी, धरती सुंदर रूप। रखें धरा को नम सदा, झील बावली कूप।। धरती पर उगते रहे , वृक्ष झाडियाँ बेल। प्रकृति सुंदरी रच रही, रुचिर नवल नित खेल।। उर्वर वसुधा है कहीं, कहीं उड़े है रेत। बंजर पथरी रेणुका, कहीं झूमते खेत।। धरती पोषण दे हमें, करती सदा निहाल। वन उपवन कानन […]

कविता

बेपनाह इश्क

बेपनाह इश्क का है ये मंजर प्रेमी के लिये समाज बना खंजर फिर भी प्रेम प्रीत हम बरसायेगों एक दुजै के साँसों में   खो जायेगें हर कोई है लैला हर कोई मज़नूं चमक रहा है अंधेरे में जैसे जूगनूं कोई चुपके चुपके घर है   बसाता कोई जगत में है प्रेम रास  रचाता प्रेम दरिया में […]

कविता

कविता

चलते चलते राहों में देखा मैनें जिंदगी को, वो मेरी मंजिल की राहों में गुनगुना रही थी , वो मुझसे नजरें बचाकर, मेरे हालातों पे मुस्कुरा रही थी । फिर कई वर्षों के बाद मुझे आई समझ, वो मुझे लोरी सुना कर बहला रही थी । जब मैनें उससे पुछा, क्यों मुझसे हो खफा? तो […]

कविता

बिहार दिवस  (22 मार्च 2023, 111 वां स्थापना दिवस)

बिहार है वह पावन भूमि , जहाँ माता सीता ने जन्म लिया। जहाँ धर्म,ज्ञान की ज्योति जली,  वैराग्य का प्रादुर्भाव हुआ। जिस मिट्टी मे ऋषि मुनि जन्मे, भारत माँ का गौरवगान किया। जिस धरती पर  डॉ. राजेन्द्र प्रसाद,  जन्म लेकर भारत को कृतार्थ किया। जिस भूमि पर  भगवान महावीर ने  जैनत्व का परचम लहराया था। जिस माटी में गौतम बुद्ध ने  […]

लेख

क्रोध:कितना जायज कितना नाजायज

मानवीय प्रवृत्तियों में एक प्रवृत्ति क्रोध भी शामिल है, जिसका दर्शन मानव समय,असमय कराता ही रहता है। जैसा कि मानव प्रवृत्ति है वह अपने गुणों अवगुणों का प्रकटीकरण करता ही रहता है। कभी जाने, कभी अनजाने। कभी जरूरत के अनुसार तो कभी उत्साह, अकड़ और कभी अख्खड़पन में। मानव जीवन में हर समय हमारे अनुकूल […]