मुक्तक/दोहा

कुछ मुक्तक

(1) जीवन की आड़ी तिरछी राहों पर आगे बढ़ता चल बाधा से घबराना कैसा सोच समझ पग धरता चल जन काँटों को चुन एक तरफ कर समतल कर दे राहों को दुःखी हृदय में प्रेम जगा कर मुस्कानों से भरता चल (2) सुजला सुफला शस्य श्यामला सपनों में ही शेष रह गया बहुत किया दोहन […]

मुक्तक/दोहा

मुक्तक

प्रियतम तेरी याद है आई बहुत दिनों के बाद मुझको सारी रात जगाई बहुत दिनों के बाद सर्द हवा आई मेरे दिल को छूकर चली गई लगा तेरा स्पर्श कराई बहुत दिनों के बाद

मुक्तक/दोहा

मुक्तक माणिक

प्रेम की अविरल बहेगी धार जब ; खिलखिलायेगा सकल संसार जब । तब किसी मन में ना होगी कामना ; सत्य से हो जाओगे दो चार जब । रास्ते हो जाय सब दुश्वार जब ; पाओं चलने से करें इंकार जब । हैं सहारा एक बस परमात्मा ; बेसहारा छोड़ दे संसार जब । दिल […]

मुक्तक/दोहा

दो मुक्तक

आ मेरी ग़ज़ल तुझे प्यार दूं नया साज दूं नया राग दूं तुम बंसी मेरी बन जाओ अपने स्वर तुम पर साध दूं दिल ये मेरा अब तुम्हारा हो गया जब से कश्चित इशारा हो गया मैं भटकता राह में था दर-बदर तुम मिले मुझको सहारा हो गया — अरुण निषाद 

मुक्तक/दोहा

मुक्तक : कृषक

हे कृषक तेरा पसीना लहू बनकर झूमता है, शक्ति , शौर्य, प्रेम से हर जिगर को चूमता है रात -दिन जो एक करता अन्नदाता है व्यथित तंगहाली जिंदगी में मौत से नित जूझता है — राजकिशोर मिश्र [राज]

मुक्तक/दोहा

मुक्तक : नहीं देखा

  दिल में समाकर जिसने, गुलिस्ताँ  नहीं देखा हमसफ़र बन साथ चलते, बागवाँ नहीं देखा मंज़िलें देखी बहुत ,प्यार पर एतवार नहीं कब राह चलते मिल गये, आसमाँ नहीं देखा — राजकिशोर मिश्र [राज] १२/०५/२०१५ प्रस्तुत मुक्तक मे —- रदीफ़ = नही देखा काफिया = गुलिस्ताँ , बागवाँ, आसमाँ में आ की मात्रा पर अनुस्वर (अं) काफिया […]

मुक्तक/दोहा

देखते-देखते—-

देखते-देखते नयनो के जरिए हृदय में महल बना लिया। बात करते-करते आवाज़ों के जरिए मुझे दिवाना बना दिया अब तक तुम्हारे अदाओं के रंग में ऐसा रंगीन हो गया हूँ मैं हमेशा के लिए मेरे ख्वाबों-ख्यालों मे स्थायी जगह बना लिया

मुक्तक/दोहा

साहित्यकार और समाज

साहित्यकार समाज का करता है अन्वेषण समाजिक अनुभवों का करता है विश्लेषण समाज से पायी बातों को लेखनी में समेटकर रचनात्मक रुप देकर करता समाज को अर्पण ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ साहित्यकार संस्कृति की बातें बताता है समाजिक बातों को अगली पीढ़ी तक पहुंचाता है सामाजिक कुरितियों पर कठोर आघात करके समाज में परिवर्तन की नयी क्रांति लाता […]