दोहा-वसुंधरा
शेषनाग सिर है धरी, मां वसुंधा महान। जन गण की है तारणी, करती जन कल्याण। सतयुग त्रेता द्वापर, कलयुग तक
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Read Moreदिल्ली में आया हुआ, एक अजब भूचाल। नहीं किसानों का वहाँ, कोई पुरसा हाल। दिल्ली होती जा रही, दिन पर
Read Moreकैसा कलियुग आ गया,बदल गया इंसान। दौलत के पीछे लगा,तजकर सब सम्मान।। बदल गया इंसान अब,भूल गया ईमान पाकर दौलत
Read Moreदो मुक्तक एक देश में आजकल किसानों के नाम पर क्या क्या चल रहा है, रोज टूट रहा है देश
Read Moreबजते घुँघरू बैल के, मानो गाये गीत ! चप्पा चप्पा खिल उठे, पा हलधर की प्रीत !! ———————————— देता पानी
Read Moreगणतंत्र दिवस पर वीर सपूतों को सादर नमन, जय हिंद, जय माँ भारती……! “चौपाई मुक्तक ” उड़ता हुआ भारती झंडा,
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