परम्परा को बदलकर
शिक्षकों को मजदूर जैसे सोचने वाले लोगों, अभिभावकों और अधिकारियों को वे डाँट लगाती हैं कि शिक्षक को अगर स्वाभिमानजीवी
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Read Moreइसबार भी होली अकेले, चुपके खेल लूँगा, चूँकि राहुल भी अकेले रह गए, सलमान भी, मुकेश खन्ना भी ! तेजप्रताप
Read Moreनारी तू नारायणी तू ही है सृष्टि तारिणी कभी तू माता कभी तू पत्नी कभी बहना बन जाती यह संसार
Read Moreकिसने लूटा कौन लुटा है पूछो मत तुमको सारी बात पता है पूछो मत ग़म से तारी आँखें कहती हैं
Read Moreअधजली चिता से ,चीख कर, कह रही लकडी़ जलती देह संग ,राख हो ,बह रही लकड़ी पानी भर अंजुल ,कभी
Read Moreनारी नहीं अब घर तक सीमित, चहुँ ओर अब छायी है। लोरी गाते-गाते माँ ने, अब, तकनीक भी, अपनायी है।।
Read Moreपुरुष तो वीर्य डालकर चिंतामुक्त हो जाते हैं, किंतु उसके बाद का कष्ट ‘महिला’ झेलती है… सिर्फ शुभकामनाएँ कह देने
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